चुनाव का मौसम आते गरीब के हित का, मचता है बड़े ही जोर का शोर। चुनाव का मौसम आते गरीब के हित का, मचता है बड़े ही जोर का शोर।
शोषण से सम्बन्धित शोषण से सम्बन्धित
सोचना मुश्किल है लोगों को न्याय दो। सोचना मुश्किल है लोगों को न्याय दो।
जीवन की द्रुत मंझधार में, हिलोरें लेते उफनते ज्वार में, जीवन की द्रुत मंझधार में, हिलोरें लेते उफनते ज्वार में,
फैल रहा है भ्रष्टाचार हो रहा व्यभिचार कितने रावण अभी जिंदा हैं। फैल रहा है भ्रष्टाचार हो रहा व्यभिचार कितने रावण अभी जिंदा हैं।
दिल मे जज़्बात की परछाइयों की बस्ती है, सुर्ख होठों पर मचलते हुये मौसम की तरह। एक छू दिल मे जज़्बात की परछाइयों की बस्ती है, सुर्ख होठों पर मचलते हुये मौसम की तरह...